बिल्डर अब घर खरीदारों से जालसाजी नहीं कर पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि बिल्डरों को बननेवाली इमारत का उचित प्राधिकार से स्वीकृत पूरा नक्शा निर्माण साइट पर लगाना जरूरी होगा।
जस्टिस कुरियन जोसेफ और एस.के. कौल की पीठ ने यह आदेश मुंबई के एक बिल्डर की एसएलपी खारिज करते हुए दिया। इस मामले भूमि मालिक ने उसके प्लाटों पर बनाई जा रही बहुमंजिली इमारत के प्लान/ले आउट प्लान तथा उसकी विशेष स्थितियों की जानकारी मांगी थी। डेवलपर ने इसे देने से मना कर दिया। इस पर मालिक ने मुंबई प्राधिकरण में आरटीआई के तहत अर्जी लगाई। सूचना आयोग ने दस्तावेजो का खुलासा करने के लिए निर्देश दिया। इस आदेश के खिलाफ बिल्डर हाईकोर्ट गया और वहां से राहत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट आया।
सुप्रीम कोर्ट में पीठ ने कहा सूचना कानून की धारा 8 (1) (जे ) के तहत उसके ये दस्तावेज गोपनीय नहीं हैं। इन्हें दिखाने से नहीं रोका जा सकता। निवेशक को उस बिल्डिंग में आकर रहना है जिसके वह दस्तावेज मांग रहा है। उसे पता होना चाहिए की जो इमारत बन रही है उसका प्लान मंजूर है और जो संशोधन किए गए वे भी उचित प्राधिकार ने स्वीकृत कर दिए हैं कि नहीं। कोर्ट ने बिल्डर पर 2.5 लाख का जुर्माना भी लगाया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट तक मामले को उठाकर उसने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है।