नगर निगम में 11 दिनों की हड़ताल के कारण शहर की सड़कों और गलियों में लगे 1100 टन से अधिक कूड़े के ढेर दुर्गंध फैलाते रहे। हड़ताल समाप्ति की घोषणा से सफाई की उम्मीद बढ़ी थी, लेकिन बुधवार को नगर निगम के 90 प्रतिशत सफाई कर्मचारी काम पर नहीं आए। बहलखाना वर्कशॉप में 75 ऑटो टिपर, 33 ट्रैक्टर व अन्य सफाई वाहन भी बंद रहे।

सुबह दस बजे तक सफाई शुरू नहीं होने पर अधिकारियों की नींद खुली। तब बहलखाना प्रभारी डार्विन मसीह ने किसी तरह पांच वाहन चालकों को मिन्नत करके बुलाया। इसके बाद दो जेसीबी, दो कम्पैक्टर और एक हाइवा गाड़ी कूड़ा उठाव के लिए निकली। इन वाहनों से दोपहर 12 बजे तक डीएम आवास रोड, कलेक्ट्रेट, प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय, नगर प्रशासक आवास, कचहरी और अन्य वरीय अधिकारियों के आवास के आसपास लगे कूड़े के ढेर हटाए गए। इसके बाद स्पेशल रोड से कूड़ा उठाव कराया गया। शाम तक पांच खेप कम्पैक्टर और जेसीबी से कूड़ा उठाव किया जा सका था। बाकी शहर बजबजाता रहा। इस तरह आम शहरी और राहगीर बदबू फैला रहे कचरे के ढेर के पास से नाक पर रूमाल रखकर गुजरते रहे।

सर्वर डाउन रहने से हाजिरी की नहीं मिली जानकारी
नगर निगम के सभी सफाईकर्मी और कर्मचारियों की हाजिरी बायोमेट्रिक सिस्टम से बनती है। बुधवार को कितने सफाईकर्मी काम पर आए, इसकी हाजिरी जानने की व्यवस्था ही शाम तक चौपट रही। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि सर्वर डाउन रहने के कारण पता ही नहीं चला कि कितने कर्मी काम पर लौटे।
● सुबह दस बजे तक सफाई शुरू नहीं होने पर अधिकारियों की नींद खुली
● मिन्नत कर कर्मियों से साहबों के आवास के आसपास कराई सफाई
कॉल कर चालकों को बुलाया, रात में काम
प्रभारी प्रशासक सह उपनगर आयुक्त ओसामा इब्ने मंसूर ने बताया कि रात तक 20 ट्रैक्टर, जेसीबी और अन्य वाहन निकाले जाएंगे। इसके लिए चालकों को कॉल करके बुलाया गया है। रातभर काम होगा। सुबह तक प्रमुख मार्गों से कूड़ा उठाया जाएगा।

सबसे खराब हालत शहर के निचले मोहल्लों की
सबसे खराब हालत शहर के उन निचले मोहल्लों के हैं जहां अभी जलजमाव है। वहां पानी में कूड़ा के सड़ांध से मोहल्लेवासी परेशान हैं। सफाई इंचार्ज सिटी मैनेजर लगातार सफाई मजदूरों के मेठ को कॉल करते रहे। दोपहर से कुछ वार्डों में 20 प्रतिशत महिला सफाइकर्मियों ने सड़कों पर झाड़ू लगाया, लेकिन वार्ड में कूड़ा उठाव करने वाले और वाहनों पर सफाई के लिए निकलने वाले मजदूर काम पर नहीं पहुंच सके। बताया जा रहा है कि हड़ताल टूटने की ससमय सूचना सफाइकर्मियों तक नहीं पहुंची। इस कारण ऊहापोह की स्थिति बनी रही।









