प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने पर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी। मोदी ने ट्वीट में कहा, पूरे देश ने आज गर्व से मुर्मू को भारत के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेते देखा। मुर्मू ने अपने संबोधन में भारत की उपलब्धियों पर जोर दिया और ऐसे समय में जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो उन्होंने आगे के रास्ते को लेकर भविष्यवादी दृष्टिकोण पेश किया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद कहा, मैं देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं, जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था। मेरा जन्म ओडिशा के एक आदिवासी गांव में हुआ, लेकिन देश के लोकतंत्र की यह शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया।
संसद के केंद्रीय कक्ष में शपथ के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्हें राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है, जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। यह महज एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आजादी के 75वें वर्ष में उन्हें यह नया दायित्व मिला है। वह देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति है, जिनका जन्म आजाद भारत में हुआ है।

महिलाओं-बेटियों के सामर्थ्य की झलक राष्ट्रपति ने कहा, मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिए प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मुझे वार्ड पार्षद से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह उनके लिए संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, विकास के लाभ से दूर रहे, गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझमें अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। उनके इस निर्वाचन में करोड़ों महिलाओं व बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।

देशवासियों का हित सर्वोपरि राष्ट्रपति ने समस्त देशवासियों, विशेषकर युवाओं व महिलाओं को यह विश्वास दिलाया कि इस पद पर कार्य करते हुए उनके हित सर्वोपरि होंगे। संविधान के आलोक में वह पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगी। उनके लिए लोकतांत्रिक आदर्श ऊर्जा के स्रोत रहेंगे। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने जगन्नाथ क्षेत्र के प्रख्यात कवि भीम भाई की कविता की एक पंक्ति का भी उल्लेख किया। उन्होंने मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हे पंक्ति पढी, अर्थात अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा कोई जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है।

महात्मा गांधी और रानी लक्ष्मीबाई का जिक्र
मुर्मू ने महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने स्वराज, स्वदेशी, स्वच्छता और सत्याग्रह के माध्यम से भारत के सांस्कृतिक आदर्शों की स्थापना का मार्ग दिखाया था। संबोधन में उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, चन्द्रशेखर आज़ाद जैसे स्वाधीनता सेनानियों तथा राष्ट्ररक्षा और राष्ट्रनिर्माण में रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी वीरांगनाओं के योगदान की भी चर्चा की।










